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संकटा माता व्रत कथा (Sankata Mata Vrat Katha)

एक बुढ़िया थी, उस बुढ़िया का एक बेटा था जिसका नाम था रामनाथ। रामनाथ धन कमाने के लिए परदेस चला गया। बुढ़िया अपने पुत्र के विदेश जाने के बाद बहुत चिंतित और दुःखी रहने लगी, क्योंकि की बहू उसे प्रायः नित्य खरी-खोटी सुनाया करती थी इसीलिए बुढ़िया प्रतिदिन चिंतित और उदास रहती और घर के बाहर स्थित कुँए पर बैठकर रोया करती थी। बुढ़िया का यह क्रम रोज चलता रहा।एक दिन कुएं में से दिए की माँ नामक एक स्त्री निकली और उसने बुढ़िया से पूछा: बूढ़ी माँ तुम इस तरह बैठकर क्यों रोती हो तुम्हें किस बात का कष्ट है तुम मुझे अपना दुःख बताओ मैं तुम्हारे दुःख दूर करने का प्रयत्न करूंगी।

बुढ़िया ने उस स्त्री का प्रश्न सुनकर कोई भी जवाब नहीं दिया और रोती ही रही। दिए की माँ बार-बार एक प्रश्न दोहराई जा रही थी। वह बुढ़िया इस बात से झुनझुला उठी उस बुढ़िया ने दिए की माँ से कहा: तुम मुझे बार-बार ऐसा क्यों पूछ रही हो क्या सचमुच ही तुम मेरा दुःख जानकर उसे दूर कर दोगी।

बुढ़िया के बात सुनकर दिए की माँ ने उत्तर दिया: मैं अवश्य ही तुम्हारे कष्टों को दूर करने का प्रयत्न करूंगी।

बुढ़िया ने दिए की माँ का ऐसा आश्वासन पाकर कहा: मेरा बेटा कमाने के लिए परदेस चला गया है। उसके पीछे मेरी बहू मुझे बहुत बुराभला कहती रहती है। यही मेरे दुःख का कारण है।

बुढ़िया की बात सुन कर दिए की माँ ने कहा: यहाँ के वन में संकटा माता रहती है। तुम अपना दुःख उनसे सुना कर कष्ट से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करो। माँ बहुत दयालु हैं, दुःखियों के प्रति बहुत सहानुभूति रखती हैं। निसंतानों को संतान, निर्धनों को धनवान, निर्बल को बलवान और अभागों को भाग्यवान बनाती हैं। उनकी कृपा से सौभाग्यवती स्त्रियों का सौभाग्य अचल हो जाता है, कुंवारी कन्याओं को अपने इच्छित वर की प्राप्ति होती है, रोगी अपने रोग से मुक्त होते हैं, इसके अलावा जो भी मनोकामना हो वह सभी को पूरा करती हैं इसमें कोई भी संदेह नहीं है।

दिए की माँ से ऐसी विलक्षण बात को सुनकर बुढ़िया संकटा माता के पास गई और उनके चरणों पर गिरकर विलाप करने लगी।
संकटा माता ने बड़े ही दयालु हो कर बुढ़िया से पूछा: बुढ़िया तुम किस कारण इतने दुःख से बार-बार रोती रहती हो।

बुढ़िया ने कहा: हे माता! आप तो सब कुछ जानती हो आप से तो कुछ भी छिपा नहीं है, आप मेरे दुःख को दूर करने का आश्वासन दें तो मैं अपनी दुःखद गाथा आप को सुनाऊं।

बुढ़िया की बात सुनकर संकटा माता ने कहा: मुझे पहले अपना दुःख बताओ दुःखियों का दुःख दूर करना ही मेरा काम है।

संकटा माता के ऐसा कहने पर बुढ़िया ने कहा: हे माता मेरा लड़का परदेस चला गया है उसके घर में ना रहने से मेरी बहू मुझे बहुत तरह-तरह की सुनाया करती है। उसकी बातें मुझसे सहन नहीं होती। इसी कारण परेशान होकर मैं बार-बार रोया करती हूँ।

बुढ़िया की इस दर्द भरी कथा को सुनकर संकटा माता ने कहा: तु