काहे इतनी देर लगाई,
आजा रे हनुमान आजा,
आजा रे हनुमान आजा,
ओ अंजनी के लाल आजा,
लगी शक्ति पड़ा नीचे भाई,
आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगायी,
आजा रे हनुमान आजा ॥बैध सुषेन ने भेद बताया,
संजीवन से प्राण बचेंगे,
मुश्किल बहुत है लाना इसको,
कैसे काम आसान बनेंगे,
बोले पवनपुत्र मैं ले आता,
आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगायी,
आजा रे हनुमान आजा ॥
द्रोणागिरी को चले पवनसुत,
राक्षस ने एक पछाड़ लगाई,
संजीवन को कैसे जानू,
हनुमान को समझ ना आई,
अब क्या मैं करूँ रघुराई,
आजा रे हनुमान आजा,
काहे इतनी देर लगायी,
आजा रे हनुमान आजा ॥
नर वानर सब सोच में बैठे,