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बिसर गई सब तात पराई - शब्द कीर्तन (Bisar Gai Sab Taat Paraai)

बिसर गई सब तात पराई,
जब ते साध संगत मोहे पाई,
ना कोई बैरी नहीं बेगाना,
सगल संग हमको बन आई,
बिसर गई सब तात पराई,
बिसर गयी सब तात पराई ।

जो प्रभु कीन्हो सो भल मान्यो,
एह सुमत साधु ते पाई,
बिसर गई सब तात पराई,
बिसर गयी सब तात पराई ।

सब में रव रहिया प्रभु एको,
पेख पेख नानक बिगसाई,
बिसर गई सब तात पराई,
बिसर गयी सब तात पराई ।